मध्य प्रदेश: जांच के लिए पहुंची पुलिस पर हमले में एएसआई की मौत, अब तक क्या पता चला?
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मध्यप्रदेश के मऊगंज जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर बसा गड़रा गांव में शनिवार रात से छावनी में तब्दील हो चुका है.
गड़रा गांव में रविवार सुबह काफी कम संख्या में गांव वाले मौजूद थे. दर्जनों घर भी खाली दिखाई दिए.
पुलिस का कहना है कि शनिवार 15 मार्च को दोपहर दो बजे आदिवासी कोल समाज के एक परिवार ने गांव के सनी उर्फ राहिल द्विवेदी नाम के एक व्यक्ति को बंधक बना लिया और कथित तौर पर उनकी हत्या कर दी.
पुलिस ने दावा किया कि इस घटना की ख़बर पर जब स्थानीय पुलिस वहां पहुंची और मृतक के शरीर को कमरे से निकालना चाहा तो आदिवासी समुदाय के लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया.
पुलिस का कहना है कि आदिवासी समुदाय के लोगों ने उनकी टीम पर भी पत्थरबाज़ी भी की. इस हमले में एक सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) की मौत हो गई.
इसके अलावा तहसीलदार कुमरे लाल पनिका, शाहपुर थाना प्रभारी संदीप भारतीय समेत लगभग 10 प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं.
स्थिति बिगड़ते देख मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक रचना ठाकुर मौके़ पर पहुंचे थे.
अजय श्रीवास्तव ने कहा, “इलाके़ में शांति बनाए रखने के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं. इस क़ानून के तहत सार्वजनिक शांति भंग करने वाले किसी भी प्रयास पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी.”
मऊगंज के जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि “गांव में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. हमारा पहला मुद्दा आज गांव में शांति बनाए रखना और मृतकों का अंतिम संस्कार करवाना था. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है”.
घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने मारे गए पुलिस अधिकारी के परजनों के लिए एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी.
रीवा के प्रभारी इंस्पेक्टर जनरल साकेत पांडे ने बीबीसी हिंदी से कहा, “शाहपुर थाना के अंतर्गत आने वाले गड़रा गांव में आदिवासी समुदाय ने उनके समाज के अशोक कोल की हत्या का आरोप लगाते हुए सनी द्विवेदी नामक व्यक्ति को बंधक बनाकर उसकी हत्या कर दी थी.”
“इसकी सूचना पर जब पुलिस कार्रवाई करने के लिए गांव पहुंची तो आदिवासी समुदाय ने पुलिस पर हमला कर दिया. इसमें हमारे एक साथी एएसआई रामचरण गौतम की मृत्यु हो गई और कुछ पुलिसवालों को चोटें भी आई हैं.”
पुलिस ने रविवार सुबह मृतक रामचरण गौतम के शव को अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव पवैया के लिए भेज दिया.
ये गांव मऊगंज से 120 किलोमीटर दूर सतना जिले में है.
1984 में मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए रामचरण गौतम के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटे हैं.
हमले में मारे गए सनी द्विवेदी का अंतिम संस्कार भी पुलिस सुरक्षा में रविवार को ही कराया जाएगा.
गड़रा गांव में रीवा कमिश्नर बी एस जामोद, प्रभारी आईजी साकेत पांडे, जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक समेत सैकड़ों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
पुलिस ने इस मामले में अभी आठ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
मृतक सनी के परिवार ने क्या बताया?
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मृतक सनी द्विवेदी के भाई रोहन द्विवेदी ने पत्रकारों को बताया कि वो एक सोसाइटी में हेल्पर के तौर पर काम करते हैं और दोपहर में वहां से घर लौटने के बाद उन्हें पता चला कि उनके भाई को कुछ लोगों ने बंधक बना लिया है.
उन्होंने बताया, “मैं दोपहर के वक्त घर लौटा तो पिता जी ने बताया कि सनी का फ़ोन नहीं लग रहा है. कुछ देर बाद घर पर एक फ़ोन आया, फिर हमें पता चलता है कि भाई को बंधक बनाकर मार रहे हैं. हम लोग उसे बचाने गए लेकिन उन लोगों ने हमें मारकर भगा दिया.”
एक अन्य ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि शनिवार को दोपहर से ही गांव में हल्ला हो रहा था और आदिवासी बसाहट के तरफ लड़ाई चालू हो गई थी.
ग्रामीण ने बताया, “दोपहर को जो झगड़ा हुआ वो शाम होते-होते बड़ी लड़ाई में बदल गया. पुलिस की टीम पर भी हमला किया गया, पत्थर फेंके गए. काफी लोगों को चोट लगी थी.”
“उसके बाद हम लोग डर के मारे अपने घरों में ही कैद हो गए. बाद में देखा तो पूरे गांव में पुलिस और प्रशासन के लोग गश्त लगा रहे थे.”
पुलिस पर क्यों हुआ हमला
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एक ग्रामीण ने नाम छापने की शर्त पर कहा, “गड़रा गांव में छह महीने पहले कोल आदिवासी समुदाय के अशोक नाम के एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. अशोक कोल गांव के ही 27 साल के सनी द्विवेदी के पिता रजनीश द्विवेदी के खेत में अधिया व्यवस्था के तहत खेती करते थे.”
अधिया व्यवस्था के तहत खेत में बीज बोने से लेकर फसल काटने तक सारा काम अधिया में खेती लेने वाला व्यक्ति करता है और लागत खेत मालिक की होती है. फसल के पैदा होने के बाद इसे आधा-आधा बांट लिया जाता है.
लगभग 1300 की आबादी वाले गड़रा गांव में ज़्यादातर अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. यहां आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 300 है और ब्राह्मणों और अन्य जातियों की संख्या भी लगभग इतनी ही है.
गांव में कई आदिवासी और अनुसूचित जाति के परिवार अधिया व्यवस्था में खेती करते हैं.
ग्रामीण ने कहा, “अशोक कोल और रजनीश द्विवेदी के घर के बीच बमुश्किल 500 मीटर का फ़ासला है, वहीं अधिया की ज़मीन लगभग एक किलोमीटर दूर है.”
“अशोक कोल अधिया वाली ज़मीन के पास वाला खेत खरीदना चाहते थे. इसको लेकर गांव में दोनों परिवारों के बीच झगड़ा हो रहा था. छह महीने पहले अशोक कोल इसी ज़मीन की रजिस्ट्री कराने के लिए गए थे, लेकिन उस दिन रजिस्ट्री नहीं हो पाई थी.”
मिली जानकारी के अनुसार जिला रजिस्ट्रार कार्यालय से लौटते वक्त अशोक कोल की कथित तौर पर सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी.
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आईजी साकेत पांडे ने कहा, “अशोक की मृत्यु के एक महीने बाद उनके परिजनों ने हत्या का शक़ जताते हुए जांच के लिए आवेदन दिया था. इसमें एक उच्चाधिकारी के नेतृत्व में जांच की गई थी. जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह मामला हत्या का नहीं बल्कि भैंस से टकराकर बाइक दुर्घटना का था.”
हालांकि अशोक के परिजनों ने इस बात पर विश्वास नहीं किया. वो यह आरोप लगाते रहे कि गांव के ही सनी द्विवेदी ने अशोक की हत्या की है.
शनिवार को अशोक कोल के परिवार ने सनी द्विवेदी को अधिया खेती से संबंधित बातचीत के लिए घर बुलाया था, जहां दोनों के बीच झगड़ा हुआ जिसके बाद उन्होंने सनी को बंधक बना लिया.
सनी के बंधक बनाए जाने की बात जब उनके परिजनों और पिता रजनीश को पता चली, तो वो बातचीत के लिए आए.
उनका आरोप है कि आदिवासी समुदाय के लोगों ने उन्हें पत्थर मारकर वहां से भगा दिया.
सनी के पिता रजनीश द्विवेदी ने इसके बाद पुलिस को सूचित किया.
आईजी साकेत पांडे ने घटना के बारे में बताते हुए कहा, “इस घटना की जानकारी मिलते ही शाहपुर थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस बल पहुंचा लेकिन तब तक सनी को पीटा गया था जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई. पुलिस ने जब मृतक के शरीर को कमरे से निकालना चाहा तब आदिवासी समुदाय के लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया.”
पुलिस अधिकारियों ने खुद को किया कमरे में बंद
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पुलिस ने कहा कि दो महिला अधिकारियों एसडीओपी ने जान बचाने के लिए खु़द को गांव में ही एक कमरे में बंद कर लिया.
पुलिस सूत्रों ने कहा, “अधिकारियों को छुड़ाने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी थी. इसकी मदद से ही दोनों महिला अधिकारियों को बाहर निकाला गया और मृतक सनी द्विवेदी के शव को भी बरामद किया जा सका.”
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “थाना प्रभारी समेत लगभग 20-25 पुलिस वालों की टीम गड़रा गांव पहुंची थी. जब पुलिस ने अंदर जाकर देखा तो सनी द्विवेदी की मृत्यु हो चुकी थी.”
“पुलिस ने हत्या के मामले के तहत कारवाई करनी चाही, जिसके बाद आदिवासी समुदाय ने हमपर हमला कर दिया. हमले में पुरुष और महिलाएं दोनों ने पुलिस को घेर लिया था. हम लोगों ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई.”
कांग्रेस ने क़ानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
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घटना की अगली सुबह रविवार को प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए प्रदेश में जंगलराज से भी बदतर स्थिति का आरोप लगाया.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मऊगंज जिले में शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में एक युवक को बंधक बनाकर पीटा गया. मौके पर पहुंची पुलिस टीम पर हुए हमले में एएसआई की मौत हो गई है. मोहन यादव जी जंगलराज से भी बदतर हुई मध्य प्रद्श की क़ानून व्यवस्था में अब तो पुलिस भी सुरक्षित नहीं है.”
वहीं भाजपा नेता और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “मऊगंज जिले में शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में दो गुटों के आपसी विवाद की सूचना पर पहुंचे तहसीलदार, थाना प्रभारी सहित पुलिस की टीम पर हुए दुर्भाग्यपूर्ण हमले में हमारी पुलिस के एक एएसआई श्री रामचरण गौतम की जवाबी कार्रवाई में दुःखद मृत्यु हुई है… मेरी गहरी शोक संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ है…”
“इस तरह की अमानवीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सभी आरोपियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित