भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन की बांध योजना पर दिया बड़ा बयान, कहा- हितों की रक्षा के लिए करेंगे जरूरी उपाय

Dam dispute on Brahmaputra River : तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना की चीन द्वारा घोषणा किए जाने के कुछ दिनों बाद भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह निगरानी जारी रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करेगा। प्रस्तावित बांध के प्रति अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नई दिल्ली ने बीजिंग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को नुकसान नहीं पहुंचे। पिछले हफ्ते चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने परियोजना के बारे में आशंकाओं को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की थी।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम निगरानी जारी रखेंगे और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। यह आशंका जताई जा रही है कि बांध का निर्माण होने से अरुणाचल प्रदेश और असम में पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचेगा। ब्रह्मपुत्र इन दो राज्यों से होकर बहती है।

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जायसवाल ने कहा, नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में जल के उपयोग का अधिकार रखने वाले देश के रूप में हमने विशेषज्ञ स्तर के साथ-साथ कूटनीतिक माध्यम से, चीनी पक्ष के समक्ष उसके क्षेत्र में नदियों पर बड़ी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार और चिंताएं लगातार व्यक्त की हैं।

 

उन्होंने कहा, हालिया रिपोर्ट के बाद इन बातों को दोहराया गया है। साथ ही, नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ पारदर्शिता बरतने और परामर्श की जरूरत बताई गई है। उन्होंने कहा, चीनी पक्ष से आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुचे। चीन ने गत वर्ष 25 दिसंबर को तिब्बत में भारत से लगी सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर विश्व का सबसे बड़ा बांध निर्मित करने की अपनी योजना की घोषणा की थी।

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परियोजना पर 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है। बांध के हिमालय पर्वतमाला क्षेत्र के पारिस्थितिकी रूप से नाजुक क्षेत्र में बनाने की योजना है। उपलब्ध विवरण के अनुसार, बांध हिमालय के एक बड़े खड्ड में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में प्रवाहित होने के लिए व्यापक रूप से ‘यू टर्न’ लेती है। बांध संबंधी चीन की घोषणा ने भारत और बांग्लादेश के लिए चिंताएं पैदा की हैं।

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पिछले हफ्ते चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने परियोजना के बारे में आशंकाओं को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की थी। उन्होंने भारत और बांग्लादेश की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा, परियोजना का नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीन नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ संवाद जारी रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण व राहत पर सहयोग बढ़ाएगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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