Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद विमान हादसे के 45 घंटे बाद जांच एजेंसियों की नजर अब उस एक डिवाइस पर टिकी है, जिसे हादसों का सबसे खामोश लेकिन भरोसेमंद गवाह कहा जा सकता है ब्लैक बॉक्स। सवाल कई हैं: हादसा कैसे हुआ? तकनीकी गड़बड़ी थी या कोई और वजह? इन सभी प्रश्नों के जवाब इसी डिवाइस में कैद हैं। ब्लैक बॉक्स, जो असल में नारंगी रंग का होता है, किसी भी विमान में सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है। इसका मुख्य कार्य उड़ान से जुड़ी तकनीकी जानकारियों और कॉकपिट की आवाज़ों को रिकॉर्ड करना होता है। यह दो भागों में बंटा होता है—FDR (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) और CVR (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर)।
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FDR उड़ान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति और पायलट की गतिविधियों से जुड़ी जानकारी सहेजता है।
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CVR पायलट और सह-पायलट के बीच की बातचीत, कॉकपिट में बजने वाले अलार्म और इंजन की आवाज़ों को रिकॉर्ड करता है।
‘MAYDAY’ की आखिरी पुकार
ब्लैक बॉक्स से पहले जो संकेत मिला, वह पायलट सुमित सभरवाल का आखिरी रेडियो संदेश था। उन्होंने ATC को तीन बार ‘MAYDAY’ कहकर चेताया—“थ्रस्ट नहीं मिल रहा… पावर कम हो रही है… प्लेन उठ नहीं रहा…”। पायलट ने अंतिम क्षणों में विमान को आवासीय इलाके से दूर ले जाने की पूरी कोशिश की, जिससे बड़ा नुकसान टल गया।
ब्लैक बॉक्स का रंग ऑरेंज क्यों?
भले ही इसे ‘ब्लैक बॉक्स’ कहा जाता है, लेकिन यह चटक नारंगी रंग में होता है। इसका कारण स्पष्ट है—हादसे के बाद मलबे में इसे आसानी से खोजा जा सके, खासकर जल, जंगल या रेगिस्तान जैसे कठिन इलाकों में। स्टील या टाइटेनियम से बना यह डिवाइस आग, पानी और दबाव झेलने की क्षमता रखता है। इसके भीतर लगा बीकन पानी के भीतर भी 30 दिन तक सिग्नल भेज सकता है। भारत, अमेरिका और ब्रिटेन की तकनीकी टीमें हादसे की तह तक पहुंचने में जुटी हैं। ब्लैक बॉक्स को एयर इंडिया विमान के टेल सेक्शन से बरामद किया गया, जो डॉक्टर हॉस्टल के मेस में दबा हुआ मिला। इसे NSG की टीम ने सुरक्षित निकाल कर जांच एजेंसियों को सौंपा।
कब तक आएगी जांच रिपोर्ट ?
यदि ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण भारत में किया गया, तो कुछ ही दिनों में सच्चाई सामने आ सकती है। लेकिन अमेरिका भेजे जाने की स्थिति में, जहां बोइंग और GE का मुख्यालय स्थित है, जांच रिपोर्ट आने में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है।इस भीषण हादसे में कुल 297 लोगों की जान गई—241 विमान में सवार यात्री और क्रू सदस्य, और 56 स्थानीय निवासी। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि अगर पायलट ने सूझबूझ न दिखाई होती, तो मृतकों की संख्या कहीं ज्यादा होती।
Ahmedabad Plane Crash
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