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ब्लैक बॉक्स खोलेगा Air India फ्लाइट के हादसे का राज, आखिर क्या होता है ये Black Box?

आज (गुरुवार) दोपहर अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया का एक अंतरराष्ट्रीय बोइंग विमान लंदन के लिए रवाना होते समय हादसे का शिकार हो गया। विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत कुल 242 यात्री और क्रू सदस्य सवार थे। इस हादसे में 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि प्लेन में सवार केवल एक यात्री जिंदा बचा है। अभी तक इस हादसे की असली वजह सामने नहीं आ पाई है, कि आखिर फ्लाइट टेक ऑफ होते ही हादसे का शिकार कैसे हो गई है।

इस तरह के प्लेन हादसे के बाद हादसे की वजह जानने के लिए तुरंत फ्लाइट के अंदर रखे ब्लैक बॉक्स की खोज की जाती है। आखिर क्या होता है ये Black Box? और इससे कैसे पता चल जाती है हादसे की वजह, चलिए डिटेल में जानते हैं।

What is Black Box of Airplane-

ब्लैक बॉक्स एक एयरक्राफ्ट डिवाइस होती है, जो एयरक्राफ्ट और फ्लाइट पैरामीटर्स की परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करने का काम करती है। इस एयरक्राफ्ट डिवाइस (Aircraft Device) को प्लेन के पिछले हिस्से में फिट किया जाता है, जहां से यह पूरे प्लेन की परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करती रहती है। इसे फ्लाइट रिकॉर्डर (Flight Recorder) के नाम से भी जाना जाता है।

ब्लैक बॉक्स में मुख्यतः दो कंपोनेंट पाए जाते हैं।

1. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)- जैसा कि नाम से पता चलता है, यह कॉकपिट अर्थात पायलट केबिन में हो रही सभी तरह के आवाजों को रिकॉर्ड करने का काम करता है। पायलट के बीच में क्या बातें हो रही हैं, किस तरह की कमांड दी जा रही है, एयर ट्रेफिक कंट्रोलर से पायलट क्या बातचीत कर रहा था, पायलट की माइक में किस तरह की आवाज आ रही थी, ये सभी आवाजें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में रिकॉर्ड हो जाती हैं। इसमें लगभग 2 घंटे की कॉकपिट रिकॉर्डिंग होती है। यदि कोई दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो इस वॉयस रिकॉर्डिंग के जरिए दुर्घटना के कारणों का काफी हद तक पता लगाया जा सकता है।

2. फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR)- इसका भी काम नाम के अनुरूप ही होता है। इस पार्ट में पूरे विमान से जुड़ी इंफॉर्मेशन को रिकॉर्ड किया जाता है। इसमें जहाज से जुड़े लगभग 80 तरह के डाटा सेव किए जाते हैं। फ्लाइट किस समय पर किस स्पीड से चल रही थी, फ्लाइट का झुकाव किस तरफ था, कितने आरपीएम पर उसके प्रोपेलर घूम रहे थे, फ्लाइट का लैंडिंग गियर खुला था या बंद था, फ्लाइट में फ्यूल कितना था, फ्यूल का टेंपरेचर कितना था, इंजन का टेंपरेचर कितना था, बाहर का टेंपरेचर कितना था, बाहर हवाएं किस दिशा में चल रही थी, नीचे ग्रेविटी कितनी थी? यह सभी बातें फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) में रिकॉर्ड होती हैं। FDR में 25 घंटे तक का फ्लाइट डाटा स्टोर होता है।

बहुत मजबूत होता है ब्लैक बॉक्स-

फ्लाइट के ब्लैक बॉक्स (Black Box in Airplane) को बहुत मजबूत बनाया जाता है, जिससे आग और पानी का भी इस पर असर नहीं होता है। प्लेन अगर पूरी तरह से जल जाए तो भी ब्लैकबॉक्स पर कोई असर नहीं आता है, यहां तक कि विमान यदि पानी में भी गिर जाए तो भी लगभग 1 महीने तक इसको कोई नुकसान नही होगा। इसका नाम भले ही ब्लैकबॉक्स होता है, लेकिन जेनेरली यह डीप ऑरेंज कलर का बॉक्स होता है।

ब्लैक बॉक्स डिवाइस काफी ड्यूरेबल होती है और 3400 ग्रेविटेशनल एक्सरिलेशन को भी सरवाइव कर जाती है। इसकी कैपेसिटी इतनी अधिक होती है कि यह 1100 डिग्री सेंटीग्रेड टेंपरेचर में भी सरवाइव का जाती है, जिससे यदि विमान पूरी तरह से जल जाए तो भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके साथ ही इसमें 20,000 फिट गहराई के अंदर वाटर प्रेशर को भी झेलने की क्षमता होती है।

अब अहमदाबाद में हुए विमान दुर्घटना से जुड़ी असली वजह जानने में ब्लैक बॉक्स जरूर हेल्पफुल होगा।

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