Famous Festival of Rajasthan : राजस्थान प्रदेश के हर त्योहार में संस्कृति का अनूप रंग बसा हुआ है। वहीं हर मेला राजस्थान की आत्मा से जुड़ा है। राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो सिर्फ रेत और किलों के लिए नहीं, बल्कि अपने रंगों, रिवाज़ों और मेलों के लिए भी जाना जाता है। यहां हर मौसम के साथ कोई न कोई उत्सव आता है, जो न सिर्फ लोक संस्कृति को ज़िंदा रखता है बल्कि देश-दुनिया के लाखों लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा पर्यटक राजस्थ में ही आते हैं। आइए जानते हैं राजस्थान की रेत से जुड़ी संस्कृति के बारे में।
पुष्कर मेला — आस्था और आकर्षण का संगम
राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित पुष्कर मेला विश्व का सबसे बड़ा ऊंटों का मेला माना जाता है। यहाँ हजारों ऊँट सजाए जाते हैं, रेस होती है और ग्रामीण हाट जैसे नज़ारे देखने को मिलते हैं। साथ ही, पुष्कर झील और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन इस मेले को धार्मिक रूप भी देते हैं। विदेशी पर्यटक यहां लोक संगीत, हिना, और हस्तशिल्प की खरीदारी में लीन रहते हैं।
डेजर्ट फेस्टिवल — जैसलमेर में रेत पर रंगों की बारिश
फरवरी में मनाया जाने वाला यह फेस्टिवल थार के रेगिस्तान को जैसे जीवंत कर देता है। यहां घूमर, कठपुतली नृत्य, ऊँट पोलो, और तुर्बन टायिंग कॉम्पिटिशन जैसे कार्यक्रम होते हैं। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा को महसूस करने का अवसर है।
तेजाजी का मेला — लोक आस्था का प्रतीक
राजस्थान में वीर तेजाजी को नाग देवता के रूप में पूजा जाता है। बीकानेर, नागौर, और अजमेर ज़िलों में बड़े स्तर पर यह मेला किया जाता है। भक्तों की अपार श्रद्धा, भजन-कीर्तन और स्थानीय मेलों का आयोजन इस पर्व को खास बनाता है।
बीकानेर ऊँट उत्सव — ऊँटों का अनोखा जलवा
यह उत्सव ऊँटों की खूबसूरत झांकियों और परेड के लिए प्रसिद्ध है। ऊँटों की सजावट, नाच और रेस देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यह कार्यक्रम बीकानेर की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है।
गणगौर — नारी शक्ति और सौंदर्य का पर्व
राजस्थान में गणगौर उत्सव का ख़ास महत्व है। गणगौर विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं। गवर (पार्वती) और ईश्वर (शिव) की पूजा कर महिलाएं अपने पति और परिवार की लंबी उम्र की कामना करती हैं। झांकियां, लोकगीत और पारंपरिक पोशाकें इस पर्व को मनोहारी बना देती हैं।
गोगाजी और करणी माता के मेले — लोक मान्यताओं का रहस्य
गोगाजी (सांपों के देवता) और करणी माता (जहाँ चूहे पूजे जाते हैं) के मेले इस बात का प्रमाण हैं कि राजस्थान में प्रकृति और प्राणी भी पूजनीय हैं। ये मेले सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि विश्वास का संगम हैं।
मारवाड़ फेस्टिवल — संगीत और नृत्य का महासंगम
जोधपुर में हर साल होने वाला मारवाड़ फेस्टिवल रियासतों के गौरवशाली अतीत की झलक देता है। इसमें शास्त्रीय संगीत, भवाई नृत्य और लोक कलाकारों का प्रदर्शन देखने लायक होता है।
इन मेलों की अहमियत क्यों है?
राजस्थान के ये मेले सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का माध्यम हैं। गांव-गांव की परंपराएं, युवा पीढ़ी का अपनी संस्कृति से जुड़ाव,पर्यटन और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा इसकी महत्वता को और बढ़ाता है। राजस्थान के हर मेले के पीछे एक कहानी छिपी है। एक लोकगीत, एक परंपरा – जो आने वाली पीढ़ियों को विरासत में मिलती है। राजस्थान के प्राकृतिक रंग पूरी दुनिया को आकर्षित करते हैं। Famous Festival of Rajasthan
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