नीतीश कुमार का ‘तुरुप का पत्ता’ क्या है? दिलीप जायसवाल के बयान से विपक्ष में हड़कंप

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Bihar Chunav 2025: विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नीतीश कुमार एक के बाद एक जनकल्याणकारी घोषणाओं से विपक्ष की नींद उड़ा चुके हैं. 1 करोड़ युवाओं को नौकरी देने से लेकर शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति तक—हर ऐलान ने महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. तेजस्वी यादव ने नीतीश को “नकलची” कहकर भले ही तंज कसा हो, लेकिन दिलीप जायसवाल का यह बयान कि “अभी नीतीश का सबसे बड़ा पत्ता खुलना बाकी है”—बिहार की सियासत में नई जिज्ञासा और सस्पेंस पैदा कर चुका है.

बिहार चुनाव से पहले सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या नीतीश कुमार कोई ऐसा ‘गुप्त दांव’ खेलेंगे जिससे विपक्ष की पूरी रणनीति ध्वस्त हो जाएगी? बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान ने इस सवाल को हवा दे दी है. उन्होंने कहा—“जब नीतीश कुमार का तुरुप का पत्ता खुलेगा तो विपक्ष चारों खाने चित हो जाएगा और उसके पास सिर्फ सिनेमा हॉल जाकर फिल्म देखने का वक्त बचेगा.”

नीतीश की घोषणाओं ने बढ़ाई विपक्ष की टेंशन

विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार नई-नई घोषणाओं से जनता को लुभा रहे हैं. अगले पाँच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य, शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा.

इन फैसलों ने विपक्षी महागठबंधन को बेचैन कर दिया है. तेजस्वी यादव ने नीतीश को “नकलची” करार देते हुए कहा कि सरकार उनकी “माई-बहन योजना” और 2500 रुपये देने के वादे की नकल कर रही है.

दिलीप जायसवाल का धमाकेदार दावा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने जेडीयू दफ्तर में हुई प्रेस वार्ता के दौरान विपक्ष पर तीखा तंज कसा. उन्होंने कहा: “जो लोग वोट चोरी करते थे, आज वोट यात्रा निकाल रहे हैं. चिंता मत कीजिए, नीतीश कुमार का बड़ा पत्ता अभी बाकी है. जब वह चलेगा तो विपक्ष चारों खाने चित हो जाएगा.”

उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर नीतीश कुमार के पास कौन-सा सियासी तीर छुपा है.

सोशल इंजीनियरिंग का खेल

नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा से सोशल इंजीनियरिंग पर आधारित रही है. वे सामाजिक समीकरणों को साधकर चुनावी गणित बदलने में माहिर माने जाते हैं. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा:

“नीतीश कुमार के सामने कोई गेंदबाज टिक नहीं सकता. कई विपक्षी पहले ही मैदान छोड़ चुके हैं. अब देखिए आगे क्या होता है.”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश का ‘तुरुप का पत्ता’ ओबीसी और दलित वर्गों को साधने की कोई नई रणनीति हो सकती है, जिससे महागठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगे.

महागठबंधन नेताओं को समझ नहीं आ रहा कि नीतीश की लगातार घोषणाओं और बीजेपी के समर्थन का जवाब कैसे दें. तेजस्वी के “नकलची” हमले के बावजूद जनता के बीच नीतीश की छवि काम करने वाले मुख्यमंत्री की बनी हुई है.

बिहार की सियासत में दिलीप जायसवाल का यह बयान अब नया सस्पेंस बन गया है. सभी की नजरें टिकी हैं कि नीतीश कुमार कब और कैसे अपना “तुरुप का पत्ता” खोलते हैं. क्या यह कोई बड़ी सामाजिक योजना होगी, या चुनावी समीकरण को बदल देने वाला नया गठजोड़? जवाब चाहे जो भी हो, इतना तय है कि यह दांव महागठबंधन की टेंशन और बढ़ा देगा.

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