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नहीं थम रहा है उत्तर प्रदेश के दो बड़े अफसरों का विवाद , आरोप

UP News : उत्तर प्रदेश के दो बड़े अफसरों का झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास है कि बड़े अधिकारियों के बीच का झगड़ा तुरंत समाप्त हो जाए । उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश के दो बड़े अफसर आपस में भिड़ हुए हैं । उत्तर प्रदेश के इन 2 अफसरों के विवाद के कारण सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी दो खेमों में बटी हुई नजर आ रही है । खबर यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार का कोई भी प्रयास इन दोनों बड़े अधिकारियों का विवाद निपटाने में सफल नहीं हो रहा है । अब इस मामले में बड़े आरोप भी सामने आ गए हैं । उधर विवाद में शामिल उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी के पक्ष में साधु संत भी आकर खड़े हो गए हैं ।

उत्तर प्रदेश के कानपुर में चल रहा है दो सरकारी अफसरों का बड़ा विवाद

उत्तर प्रदेश के कानपुर में जिलाधिकारी (DM) जितेंद्र प्रताप सिंह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच महीनों से चल रहा विवाद नया मोड़ ले चुका है। शासन द्वारा निलंबन के बाद डॉ. हरिदत्त नेमी ने डीएम कानपुर पर गंभीर और सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। निलंबित सीएमओ ने दावा किया कि डीएम ने उनके साथ मीटिंग में अभद्र व्यवहार किया, जातिसूचक गालियां दीं, और यहाँ तक कि उनके सिर पर थप्पड़ भी मारा। साथ ही, उन्होंने डीएम पर एक सीबीआई चार्जशीटेड फर्म के भुगतान को लेकर दबाव बनाने और साजिश के तहत उन्हें फंसाने का आरोप लगाया।

CMO ने डीएम पर लगाए गंभीर आरोप

डॉ. हरिदत्त नेमी ने एक बयान में कहा कि डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने मीटिंग के दौरान उन पर जातिसूचक टिप्पणियां कीं और अपमानजनक तरीके से व्यवहार किया। उन्होंने दावा किया, “DM ने एक मीटिंग में मेरे सिर पर थप्पड़ मारा और मुझे अपमानित किया। यह मेरे लिए बेहद शर्मनाक था।” इसके अलावा, नेमी ने आरोप लगाया कि डीएम ने उन पर बार-बार सिस्टम में शामिल होने का दबाव बनाया, जिसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव को ईमेल और व्हाट्सएप के जरिए शिकायत भी की थी।

सीबीआई चार्जशीटेड फर्म के भुगतान का विवाद

नेमी ने दावा किया कि उन्होंने जेएम फार्मा के मालिक राजेश शुक्ल की फर्म का 30 लाख रुपये का भुगतान इसलिए रोका, क्योंकि यह फर्म सीबीआई से चार्जशीटेड थी और सप्लाई किया गया सामान बैच नंबर में अलग था। उन्होंने कहा, “मैंने इसकी जानकारी डीएम को पत्र लिखकर दी थी, लेकिन DM और वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी (SFO) वंदना सिंह मुझ पर लगातार भुगतान करने का दबाव बनाते रहे। वंदना सिंह ने फोन और चिट्ठी के जरिए मुझे राजेश शुक्ल को भुगतान करने के लिए कहा।” नेमी ने इसे अपने निलंबन की वजह बताते हुए कहा, “मेरे इस कदम से कुछ लोग नाराज थे, जिसके बाद मेरे खिलाफ साजिश रची गई।”

CMO ने वायरल आडियो को बताया फर्जी

नेमी ने अपने खिलाफ वायरल हुए आडियो क्लिप्स को फर्जी करार दिया, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा, “यह आडियो मेरे नहीं हैं। आजकल AI तकनीक से किसी की भी आवाज बनाई जा सकती है। मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है।” उन्होंने डीएम पर आरोप लगाया कि उनकी सख्ती और भ्रष्टाचार विरोधी कदमों से नाराज कुछ लोगों ने उनके खिलाफ यह षड्यंत्र रचा।

उत्तर प्रदेश में अधिकारी का निलंबन और सियासी हलचल

उत्तर प्रदेश के अफसरों का यह विवाद तब शुरू हुआ जब डीएम ने फरवरी 2025 में सीएमओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं। इसके बाद डीएम ने शासन को पत्र लिखकर नेमी के तबादले की सिफारिश की थी। वायरल आॅडियो और डीएम द्वारा मीटिंग में सीएमओ को बाहर निकालने की घटना ने मामले को और तूल दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ का समर्थन किया था, जबकि बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा और महेश त्रिवेदी ने डीएम का पक्ष लिया। आखिरकार, शासन ने गुरुवार को सचिव रितु माहेश्वरी के आदेश पर डॉ. हरिदत्त नेमी को निलंबित कर लखनऊ में महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा से संबद्ध कर दिया। उनकी जगह श्रावस्ती के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया। UP News

उत्तर प्रदेश के साधु-संतों का डीएम के समर्थन में प्रदर्शन

इस विवाद के बीच डीएम के समर्थन में उत्तर प्रदेश के साधु-संत और समाजसेवी भी उतर आए। गुगल गोल्डन बाबा मनोजानंद सेंगर के नेतृत्व में साधु-संतों ने सरसैया घाट से रथ यात्रा निकाली और मंडलायुक्त कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा, जिसमें निष्पक्ष जांच की मांग की गई। सोशल मीडिया पर भी डीएम के पक्ष में कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जहां उन्हें तेज-तर्रार और भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारी बताया जा रहा है। UP News

नेमी का दावा: साजिश का शिकार

डॉ. नेमी ने कहा, “मैंने स्वास्थ्य विभाग में सुधार के लिए काम किया, लेकिन मेरी सख्ती से कुछ लोग नाखुश थे। डीएम ने मेरे खिलाफ गलत जानकारी के आधार पर कार्रवाई की। मैं साजिश का शिकार हुआ हूं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी कार्यशैली से शहर के कई जनप्रतिनिधि खुश थे, लेकिन डीएम ने उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया। UP News

आगे क्या होगा उत्तर प्रदेश के इस विवाद में

उत्तर प्रदेश का यह विवाद न केवल प्रशासनिक स्तर पर बल्कि सियासी और सामाजिक स्तर पर भी पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सपा ने इसे बीजेपी की अंदरूनी कलह का मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधा है, जबकि बीजेपी नेताओं के बीच भी दो खेमे साफ दिख रहे हैं। नए सीएमओ डॉ. उदय नाथ के सामने कानपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती है, जबकि इस प्रकरण ने डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की सख्त कार्यशैली को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। कानपुर का यह प्रशासनिक ड्रामा अभी भी सियासी गलियारों और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। UP News

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