विमान हादसों की दुनिया में कई रहस्यमय संयोग सामने आते हैं, लेकिन सीट 11A से जुड़ा यह किस्सा सबसे अनोखा है। दो अलग-अलग विमान दुर्घटनाओं में केवल एक-एक व्यक्ति ही बचा और दोनों ही यात्रियों की सीट एक जैसी थी—सीट 11A। यह एक ऐसा संयोग है जिसने कई लोगों को चौंका दिया है और सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई कुछ सीटें दूसरों की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित होती हैं?
पहला हादसा: 1998 में थाईलैंड का विमान क्रैश
1998 में एक थाई एयरलाइन का विमान हादसे का शिकार हुआ था। उस दुर्घटना में कुल 101 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन उस विमान में एकमात्र जीवित यात्री था—एक थाई गायक—जो उस समय सीट 11A पर बैठा था। वह किसी तरह उस भीषण हादसे से बच निकला। हादसे के बाद उसे भी विश्वास नहीं हुआ कि वह जिंदा है। उसने बाद में बताया कि सीट 11A ने उसकी जान बचा ली।
दूसरा हादसा: एयर इंडिया AI171 की दुर्घटना
12 जून, 2025 को एयर इंडिया की एक फ्लाइट AI171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी। यह विमान टेकऑफ के थोड़ी ही देर बाद, करीब 650 फीट की ऊँचाई पर, एयरपोर्ट के पास ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान सीधे अहमदाबाद के B.J. मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल के परिसर में जा गिरा। इस भीषण हादसे में विमान में सवार 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई। यह भारत के इतिहास का सबसे भीषण एकल विमान हादसा बन गया।
इस हादसे में भी केवल एक व्यक्ति ही बच पाया—विश्वाश कुमार रमेश। वह सीट 11A पर बैठे थे। हादसे के कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि उन्हें बस “मे डे, मे डे” की आवाज़ और फिर आग की लपटें याद हैं। उन्हें नहीं पता कि वह कैसे बच पाए, लेकिन यह साफ था कि उनकी सीट 11A थी।
क्या वाकई सीट 11A सुरक्षित है?
इन दोनों हादसों में बचने वाले यात्री एक ही सीट पर बैठे थे—11A। इसी वजह से सोशल मीडिया और आम चर्चा में यह सवाल तेजी से उठने लगा कि क्या सीट 11A सबसे सुरक्षित होती है? क्या यह कोई खास संयोग है या फिर कोई रहस्यमयी संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह महज इत्तेफाक है। सीट 11A विमान में अक्सर विंग या इमरजेंसी एग्जिट के पास होती है, जिससे आपातकाल में बाहर निकलने का रास्ता पास होता है। हालांकि, किसी एक सीट को सबसे सुरक्षित कह देना वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है। विमान हादसे में सुरक्षा कई बातों पर निर्भर करती है—जैसे टक्कर का तरीका, आग लगने की गति, यात्रियों की प्रतिक्रिया और बचाव में लगा समय।
सीट 11A से जुड़े यह दोनों हादसे जरूर चौंकाने वाले हैं, लेकिन इन्हें कोई निश्चित सुरक्षा संकेत मान लेना उचित नहीं होगा। हालांकि यह बात रोमांचक और चर्चा का विषय जरूर है कि दोनों बार वही सीट, वही संख्यात्मक स्थिति, और वही नतीजा—केवल वही व्यक्ति बचा जो उस सीट पर बैठा था। यह एक ऐसा संयोग है जिसे शायद विज्ञान नहीं, किस्मत ही समझा जा सकता है।
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