जुलाई में महंगाई से बड़ी राहत, अगस्त में बढ़ने के आसार

Hindi News Hindi Samchar Hindi Blog Latest Hindi News

Wholesale Inflation: खाने की चीजों और ईंधन की कीमतों में गिरावट के बीच थोक महंगाई जुलाई में दो साल के निचले स्तर शून्य से नीचे 0.58% पर आ गई है. गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के यह जानकारी दी गई है. हालांकि, विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई बढ़ सकती है, क्योंकि आधार प्रभाव कम हो जाएगा और मौसमी मूल्य वृद्धि जारी रहेगी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीओई) आधारित मुद्रास्फीति जून में शून्य से नीचे 0.13% और जुलाई, 2024 में 2.10% रही थी.

सब्जियों के दाम में भारी गिरावट

उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ मुख्य रूप से खाने की चीजों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और मूल धातुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में कमी के कारण थोक महंगाई शून्य से नीचे रही है.’’

  • खाद्य वस्तुओं की कीमतों में जुलाई में 6.29% की गिरावट देखी गई, जबकि जून में इनमें 3.75% की गिरावट आई थी.
  • सब्जियों के दाम में भारी गिरावट देखी गई. जुलाई में इनकी कीमतों में 28.96% की गिरावट आई, जबकि जून में यह 22.65% घटी थी.
  • बने बनाए उत्पादों के मामले में महंगाई जुलाई में बढ़कर 2.05% रही, जबकि इससे पिछले महीने यह 1.97% थी.
  • ईंधन और बिजली में जुलाई में यह 2.43% रहीख् जबकि जून में यह 2.65% थी.

आरबीआई ने रेपो रेट को रखा यथावत

खुदरा महंगाई को ध्यान में रखकर मौद्रिक रुख तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर रेपो को 5.5% पर यथावत रखा था. खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में आठ साल के निचले स्तर 1.55% पर आ गई.

इसे भी पढ़ें: Viral Video: क्या साबुन से धोने पर मर जाता है रैबीज का वायरस? सच जानने के लिए देखें वीडियो

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

  • बहुराष्ट्रीय बैंक एवं वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज ने ‘शोध नोट’ में कहा कि जुलाई में थोक मूल्य मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतों में नरमी रही.
  • रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य क्षेत्र के कारण हुई है. खाद्य सामग्रियों की कीमतों में सालाना आधार पर बड़ी नरमी देखी गई. इसमें सब्जियों, दालों तथा अंडों, मांस व मछली की बड़ी भूमिका रही. अग्रवाल ने कहा कि हालांकि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में भारी बारिश के कारण जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं तथा इस पर नजर रखना भी महत्वपूर्ण होगा.
  • बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री सोनल बधान ने कहा कि रूसी तेल के आयातकों पर अमेरिकी प्रतिबंधों के संबंध में अनिश्चितता बनी हुई है और रूस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध विराम समझौते की स्थिति भी अनिश्चित है. इसलिए भविष्य में तेल की कीमतों में कुछ वृद्धि का दबाव देखने को मिल सकता है. बधान ने कहा, ‘‘हालांकि, शुल्क संबंधी नए तनावों के कारण जिंस की कीमतों पर दबाव बढ़ने की आशंका है, क्योंकि वैश्विक वृद्धि की संभावनाएं कमजोर पड़ रही हैं. हालांकि, हमारा अनुमान है कि आने वाले महीनों में थोक मुद्रास्फीति नियंत्रित रहेगी.’’
  • उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा, ‘‘खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी और दक्षिण-पश्चिम मानसून में अनुकूल प्रगति से कृषि गतिविधियों को भविष्य में बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा.’’

इसे भी पढ़ें: 1947 में गदर मचा के अकेले पाकिस्तान गए जिन्ना, भारत बना खानदान का बसेरा

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

HINDI

Source link

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *