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जस्टिस यशवंत वर्मा पर मंडराया महाभियोग का खतरा, सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

Justice Yashwant Verma :  दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें अब विधायी कार्रवाई की दहलीज पर आ खड़ी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरा पाया है और उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की है।

यह मामला मार्च 2025 में उस वक्त प्रकाश में आया, जब वर्मा के सरकारी आवास 30 तुगलक क्रेसेंट में आग लगने की सूचना पर दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। आग बुझाने के दौरान स्टोर रूम में भारी मात्रा में नकदी पाई गई, जिनमें से अनेक नोट अधजले या जले हुए थे। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही मामला देशभर की सुर्खियों में आ गया।

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की एक विशेष समिति गठित की थी। अब समिति की 64 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट में कई गंभीर खुलासे हुए हैं, जो जस्टिस वर्मा की भूमिका पर सवाल उठाते हैं।

जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • गहराई से की गई जांच –  10 दिनों में 55 गवाहों के बयान लिए गए। सभी गवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई, ताकि प्रमाणों की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्न न उठ सके।

  • मौके का निरीक्षण –  14 मार्च की रात लगभग 11:35 बजे समिति ने घटनास्थल—जस्टिस वर्मा का आधिकारिक आवास—का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया।

  • नकदी की पुष्टि-  रिपोर्ट के मुताबिक, भारी मात्रा में नकदी स्टोर रूम में रखी गई थी, जो कि न्यायमूर्ति वर्मा के अधिकार में था। उस कमरे तक पहुंच केवल वर्मा और उनके परिजनों के “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण” में थी।

  • परिस्थितिजन्य साक्ष्य –  समिति का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में नकदी जस्टिस वर्मा या उनके परिवार की जानकारी और सहमति के बिना वहां नहीं रखी जा सकती थी।

  • गवाहों की पुष्टि – कम से कम 10 गवाहों ने जले या अधजले नोटों को खुद अपनी आंखों से देखने की पुष्टि की है। एक गवाह के अनुसार, “मैं अंदर गया तो देखा कि दाईं ओर और सामने फर्श पर 500 रुपये के नोटों का ढेर पड़ा था — यह दृश्य मेरे जीवन में पहली बार था।”

सबूतों से छेड़छाड़ का संदेह

समिति ने इस मामले में जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है। आरोप है कि कार्की ने आग बुझाने वाले कर्मियों को निर्देश दिया कि वे रिपोर्ट में जली हुई नकदी और कमरे की सफाई का जिक्र न करें। हालांकि कार्की ने इन आरोपों को नकारा, लेकिन अन्य गवाहों की गवाही और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य इससे भिन्न तथ्य प्रस्तुत करते हैं।    Justice Yashwant Verma

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