UP News : नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द क्षेत्र अब महज हवाई यात्रा का केंद्र नहीं, बल्कि उत्तर भारत के सबसे तेजी से विकसित होते इकोनॉमिक जोन का चेहरा बनने जा रहा है। इसी क्रम में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने बुलंदशहर के 55 गांवों से कृषि भूमि खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इससे इन गांवों के किसान सिर्फ जमीन के मालिक नहीं, बल्कि भविष्य के करोड़पति उद्यमी भी बन सकते हैं।
दरें तय, किसानों को मिलेगा दिल्ली-एनसीआर के बराबर मुआवजा
अधिकारियों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और किसानों को 4,300 प्रति वर्ग मीटर तक की दर मिलेगी, जो कि गौतमबुद्धनगर जिले में मिल रहे मुआवजे के बराबर है। अगर कोई किसान अधिग्रहित भूमि के एवज में 7% क्षेत्र में आवासीय प्लॉट लेना चाहता है, तो उसे यह भूमि 3,800 प्रति वर्ग मीटर की दर से दी जाएगी। YEIDA के सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया कि यह निर्णय किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग और न्यायसंगत मुआवजे की नीति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। प्रस्ताव अब प्राधिकरण के बोर्ड के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा। UP News
अवैध निर्माण पर सख्ती, सुनियोजित विकास की तैयारी
प्राधिकरण ने यह भी साफ कर दिया है कि इस अधिग्रहण का एक उद्देश्य अवैध कॉलोनियों और अनियोजित निर्माण को रोकना भी है। इसके लिए यीडा अब खुद जमीन खरीदेगा और क्षेत्र को सुनियोजित तरीके से विकसित करेगा। यह भूमि खासतौर से वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स हब के लिए प्रस्तावित है। UP News
बदलता भूगोल : एयरपोर्ट हब बनेगा आर्थिक इंजन
बात केवल जमीन अधिग्रहण की नहीं है, बल्कि इसके पीछे की विकास अवधारणा और रणनीति भी महत्त्वपूर्ण है।
जून 2023 में यीडा ने यह घोषणा की थी कि जेवर एयरपोर्ट को बुलंदशहर के चोला रेलवे स्टेशन से जोड़ने के लिए दो एक्सप्रेसवे और एक रेलवे लिंक विकसित किए जाएंगे। अब इस योजना को जमीनी हकीकत में बदलने का वक्त आ गया है। दोनों एक्सप्रेसवे के बीच का 2.5 किलोमीटर क्षेत्र, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक इकाइयों के लिए आरक्षित किया जाएगा। यह पूरा इलाका अब यातायात, व्यापार, आवास और निवेश का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश की आर्थिक तस्वीर भी बदलेगी। UP News
किसान अब जमीनदारी से निवेशदारी की ओर
बुलंदशहर के ये 55 गांव अब उत्तर भारत के औद्योगिक और परिवहन मानचित्र पर एक नई पहचान बनाने जा रहे हैं। जहां कभी खेतों में फसलें उगाई जाती थीं, वहीं अब इन्फ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, और ग्लोबल ट्रेड की नई फसल बोई जाएगी। इस प्रक्रिया में किसानों की भागीदारी और मुआवजे की न्यायसंगत नीति को अगर सही दिशा दी गई, तो यह मॉडल देशभर के भूमि अधिग्रहणों के लिए एक उदाहरण बन सकता है। UP News
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