Discord In TMC : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शीर्ष स्तर पर चल रहा आपसी तनाव एक बार फिर सार्वजनिक हो गया है। पार्टी के दो वरिष्ठ सांसदों, कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच विवाद नए सिरे से तेज हो गया है। जहां महुआ ने हाल ही में कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामले में कल्याण के बयान को महिला विरोधी करार दिया, वहीं जवाब में कल्याण बनर्जी ने महुआ के निजी जीवन को लेकर तीखे और विवादास्पद शब्दों में निशाना साधा।
राजनीतिक मतभेद या व्यक्तिगत विद्वेष?
टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा ने हाल ही में ट्वीट कर कहा था कि महिलाओं के खिलाफ घृणा पार्टी लाइन से परे है और टीएमसी को उन नेताओं से खुद को अलग करना चाहिए जो ऐसी टिप्पणियां करते हैं। यह टिप्पणी दरअसल कल्याण बनर्जी के उस बयान पर प्रतिक्रिया थी, जिसमें उन्होंने पीड़िता को ही ‘सतर्क रहने’ की सलाह दी थी। पार्टी ने इसे उनका व्यक्तिगत बयान बताते हुए इससे दूरी बना ली थी।
किसी दूसरे का परिवार तोड़कर शादी करने वाली महिला क्या बात करेगी
इसके जवाब में कल्याण बनर्जी ने बेहद तल्ख लहजे में महुआ मोइत्रा की आलोचना की और उनके वैवाहिक जीवन का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने किसी और के परिवार को तोड़कर शादी की है। उन्होंने यहां तक कहा कि, “एक महिला जिसने दूसरी महिला की शादी तुड़वा दी, वह खुद महिला अधिकारों की बात कैसे कर सकती है?”
राजनीतिक बहस का निजी हमलों में तब्दील होना चिंताजनक
विश्लेषकों के अनुसार यह विवाद केवल वैचारिक या मुद्दा आधारित नहीं रह गया है, बल्कि अब निजी जीवन और चरित्र पर हमला करने तक पहुंच चुका है। कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा अपने क्षेत्र में किसी भी सक्षम महिला नेता को उभरने नहीं देतीं और खुद को महिला अधिकारों की संरक्षक बताने की कोशिश कर रही हैं।
टीएमसी नेतृत्व की चुप्पी और संदेश
पार्टी नेतृत्व ने इस बार भी स्पष्ट रूप से कोई सार्वजनिक रुख नहीं अपनाया है। यह वही पार्टी है जिसने अतीत में महिला विरोधी टिप्पणियों पर खुद को “महिला सशक्तिकरण की पार्टी” के तौर पर प्रस्तुत किया है। लेकिन लगातार सामने आ रहे इस तरह के मतभेदों से पार्टी की आंतरिक अनुशासन प्रणाली और जन छवि दोनों पर सवाल उठने लगे हैं।
क्या यह सिर्फ सत्ता संघर्ष है?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह टकराव केवल विचारों का नहीं बल्कि टीएमसी के अंदर चल रहे नेतृत्व संघर्ष का हिस्सा है। महुआ मोइत्रा पार्टी के शहरी और प्रगतिशील वर्ग में तेजी से लोकप्रिय होती जा रही हैं, जबकि कल्याण बनर्जी पार्टी की परंपरागत जमीनी राजनीति के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। इस विवाद ने न केवल पार्टी के भीतर की खेमेबाजी को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि राजनीतिक विमर्श में महिला मुद्दों को कैसे व्यक्तिगत एजेंडा बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। एक ओर जहां देश महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस कर रहा है, वहीं यह घटनाएं महिला अधिकारों को लेकर राजनीतिक ईमानदारी पर सवाल खड़ा करती हैं।
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