UP News : उत्तर प्रदेश सरकार की की एक खास योजना बडा कल्याणकारी काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, किशोरियों और छोटे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाई जा रही टेक होम राशन योजना अब तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता के नए मानक गढ़ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस योजना के तहत फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) लागू कर टेक होम राशन वितरण को न सिर्फ डिजिटल बनाया है, बल्कि इससे फजीर्वाड़े और दोहराव पर भी प्रभावी रोक लगी है। योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अब पात्र लाभार्थी सिर्फ अपने चेहरे की पहचान से पोषण राशन प्राप्त कर पा रहे हैं, जिससे खासकर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित, तेज और पारदर्शी सेवाएं मिल रही हैं। कानपुर नगर, गाजियाबाद, बिजनौर, उन्नाव, झांसी टॉप 5 जिलों में शामिल हैं, जहां ऋफर के लिए तेजी से कार्य किया गया है। योगी सरकार द्वारा 1 जुलाई 2025 तक इसे प्रदेश में शत-प्रतिशत लाभार्थियों पर लागू करने के निर्देश दिये गये हैं।
अगस्त 2024 में हुई ऋफर की शुरूआत
ऋफर की पायलट शुरूआत अगस्त 2024 में कानपुर नगर के बिधनू और सरसौल परियोजनाओं में हुई थी, और इसके उत्साहजनक परिणामों के बाद 14 नवंबर 2024 से इसे प्रदेशव्यापी रूप में लागू कर दिया गया। जून 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के 11.85 करोड़ पात्र लाभार्थियों में से 10.84% का फेस कैप्चर हो चुका है, और इनमें से 8.26% लाभार्थियों का ीङउ भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। आधार फेस आॅथेंटिकेशन भी 7.18% तक पहुंच चुका है। 01 अगस्त 2025 से नए लाभार्थियों के लिए FRS अनिवार्य होगा। UP News
ऋफर में कानपुर नगर, गाजियाबाद, बिजनौर, उन्नाव, झांसी टॉप पर
इस अभियान में कानपुर नगर, गाजियाबाद, बिजनौर, उन्नाव, झांसी, शामली, शाहजहांपुर, इटावा, मथुरा और फरुर्खाबाद जिले शीर्ष 10 जिलों के रूप में सामने आए हैं, जिन्होंने न केवल फेस कैप्चर बल्कि ीङउ में भी प्रदेश स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया है। कानपुर नगर में सबसे अधिक 71,791 लाभार्थियों का फेस कैप्चर हुआ, जिनमें से 58,790 पूरा हो चुका है, जो कुल लक्ष्य का 45.34% है। इसके बाद क्रमश: गाजियाबाद (28.28%), बिजनौर (27.44%), उन्नाव (26.59%) और झांसी (26.10%) जैसे जिले तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। UP News
धोखाधड़ी को रोकने और राशन वितरण में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण
पोषण ट्रैकर में एफआरएस दो-स्तरीय प्रमाणीकरण प्रणाली है, जिसमें चेहरे की पहचान और ओटीपी का उपयोग होता है। लाभार्थी की फोटो को आधार से जुड़े ई-केवाईसी के साथ मिलाया जाता है और उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर भेजा गया ओटीपी आंगनवाड़ी केंद्र पर सत्यापित किया जाता है। यह प्रणाली से धोखाधड़ी को रोकने और राशन वितरण में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह तकनीकी प्रगति केवल डाटा एनालिटिक्स की उपलब्धि नहीं, बल्कि यह दशार्ती है कि योगी सरकार टेक्नोलॉजी को सामाजिक कल्याण से जोड़कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचाने में विश्वास करती है। टेक होम राशन योजना की नई व्यवस्था ने विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की उन महिलाओं को भी सशक्त किया है जो पहले पहचान, पहुंच और पारदर्शिता के अभाव में वंचित रह जाती थीं।
फेस रिकग्निशन प्रणाली के माध्यम से अब राशन वितरण में पात्रता की पुष्टि एक क्लिक में हो रही है, जिससे वितरण की गति और भरोसे दोनों में वृद्धि हुई है। यह प्रणाली विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है, जिन्हें पहले अंगूठा पहचान या अन्य प्रक्रिया में दिक्कत होती थी। अब केवल कैमरे के सामने आने भर से लाभ तय हो गया है। योगी सरकार का लक्ष्य आगामी महीनों में इस प्रणाली को प्रदेश के शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाना है। UP News
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