Iran-Israel War : 13 जून 2025 को ईरान और इजरायल के बीच छिड़े युद्ध ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस टकराव में सिर्फ दो देश ही नहीं, बल्कि उनके पीछे खड़े वैश्विक शक्तिकेंद्र भी शामिल होते जा रहे हैं। एक ओर ईरान को रूस, चीन, यूक्रेन, उत्तर कोरिया और बेलारूस जैसे देशों का सैन्य समर्थन प्राप्त है, तो दूसरी ओर इजरायल को अमेरिका, जर्मनी, इटली और कनाडा जैसे पश्चिमी देशों का खुला सहयोग मिल रहा है।
किस देश से किसे मिल रहे हैं हथियार?
प्रमुख रक्षा आंकड़ों के मुताबिक, बीते 25 वर्षों में जिन देशों ने ईरान और इजरायल को सबसे अधिक हथियार मुहैया कराए हैं, उनकी सूची कुछ इस प्रकार है:
ईरान को सप्लाई करने वाले देश हथियार (मिलियन डॉलर में)
रूस 3,473
चीन 904
यूक्रेन 314
उत्तर कोरिया 257
बेलारूस 53
इजरायल को सप्लाई करने वाले देश हथियार (मिलियन डॉलर में)
अमेरिका 10,486
जर्मनी 2,596
इटली 293
कनाडा 16
ईरान बनाम इजरायल: जनसंख्या और क्षेत्रफल में अंतर, लेकिन क्या इससे फर्क पड़ता है?
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि जहां ईरान को अधिकतर समर्थन पूर्वी धड़े से मिल रहा है, वहीं इजरायल को पश्चिमी ताकतें सैन्य रूप से सशक्त बना रही हैं। ईरान का क्षेत्रफल लगभग 16 लाख वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या 9 करोड़ के करीब, जबकि इजरायल का कुल क्षेत्रफल सिर्फ 22,000 वर्ग किलोमीटर और आबादी लगभग 95 लाख है। भले ही भौगोलिक और जनसंख्या के लिहाज से ईरान बड़ा हो, लेकिन युद्ध की तस्वीर केवल इन आंकड़ों से नहीं बनती।
ईरान की सैन्य संरचना
ईरान की सेना दो हिस्सों में बंटी हुई है: आर्टेश, यह पारंपरिक सीमाओं की रक्षा के लिए जिम्मेदार है। दूसरा इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, इसमें कुद्स फोर्स, मिसाइल कमान और साइबर यूनिट्स जैसी स्पेशल इकाइयां शामिल हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, ईरान की रेगुलर आर्मी में 6.6 मिलियन सैनिकों की तैनाती है, जबकि आईआरजीसी के पास करीब 2 लाख प्रशिक्षित बल हैं। हालांकि, इजरायल और अमेरिका द्वारा किए गए पूर्व सैन्य अभियानों में ईरानी सेना और उसकी प्रॉक्सी यूनिट्स को गंभीर क्षति पहुँची थी।
इजरायल की ताकत: छोटा देश, बड़ी तैयारी
भले ही इजरायल का आकार छोटा हो, लेकिन उसका सैन्य कौशल अत्याधुनिक है। अमेरिका और नाटो सहयोग से उसे नवीनतम तकनीकों की निरंतर आपूर्ति होती रहती है। इसके अतिरिक्त, इजरायल ने अपनी घरेलू रक्षा प्रणाली (जैसे आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग) को भी विश्व स्तरीय स्तर पर विकसित किया है। रणनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो इजरायल, सीमित संसाधनों के बावजूद युद्ध के कई मोर्चों पर एकसाथ जवाब देने की क्षमता रखता है।
क्या यह सिर्फ दो देशों का युद्ध है?
ईरान और इजरायल के बीच यह संघर्ष अब क्षेत्रीय न होकर वैश्विक मंच पर प्रभाव छोड़ने लगा है। दोनों देशों को जिन अंतरराष्ट्रीय ताकतों का समर्थन मिल रहा है, वह आने वाले समय में इस युद्ध को और भयावह बना सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन से देश इस ‘बैकडोर वार’ के असली खिलाड़ी हैं। Iran-Israel War
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