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हिंदू पंचांग में शनि अमावस्या का दिन अत्यंत पवित्र और विशेष माना जाता है. यह दिन भगवान शनि देव की उपासना के लिए समर्पित होता है, जो कर्म, अनुशासन, कठिनाइयों और जीवन के संतुलन के प्रतीक हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा भी विशेष फलदायी होती है, जिससे जीवन की बाधाएं दूर होकर सुख-समृद्धि आती है.
शनि अमावस्या आत्मनिरीक्षण, मानसिक शांति और आध्यात्मिक शुद्धि का श्रेष्ठ समय माना जाता है. इस अवसर पर श्रद्धालु पवित्र नदियों जैसे गंगा में स्नान, ध्यान और दान-पुण्य का कार्य करते हैं.
शनि अमावस्या 2025 की तिथि व समय
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 22 अगस्त 2025 को सुबह 11:55 बजे प्रारंभ होगी और 23 अगस्त 2025 को सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार मुख्य पर्व 23 अगस्त को मनाया जाएगा.
- सूर्योदय: 05:16 AM
- सूर्यास्त: 06:02 PM
- ब्रह्म मुहूर्त: 03:46 AM – 04:31 AM
- विजय मुहूर्त: 01:47 PM – 02:38 PM
- संध्या समय: 06:02 PM – 06:24 PM
- निशिता मुहूर्त: 11:17 PM – 12:02 AM
विशेष योग
इस वर्ष शनि अमावस्या के दिन शिव योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो रात 12:54 बजे तक रहेगा. इसके साथ दिन में पारिघ योग भी रहेगा, जो दोपहर 01:20 बजे समाप्त होगा. इन योगों में भगवान शिव और शनि देव की आराधना करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
शुभ मंत्र जाप
इस दिन निम्न मंत्रों का जाप अत्यंत लाभकारी माना गया है—
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्
- ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
- ॐ शं नो देविरभिष्ठय आपो भवंतु पीतये. शं यो रभि श्रवंतु नः
इसके अलावा श्रद्धालु शनि स्तोत्र, शनि चालीसा या हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं, जिससे जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ)
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