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इंद्रायणी नदी पर पुल टूटा, कई के डूबने की आशंका

Pune (Maharashtra) : रविवार की दोपहर पुणे जिले के मावल तालुका स्थित कुंडमाल क्षेत्र में इंद्रायणी नदी पर बना एक पुल अचानक टूट गया, जिससे दर्जनों पर्यटक नदी में गिर गए। घटना में 10 से 15 लोगों के डूबने की आशंका जताई जा रही है, जबकि अब तक 5 से 7 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

कैसे हुआ हादसा?

प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, यह हादसा दोपहर करीब 3:30 बजे हुआ, जब बड़ी संख्या में पर्यटक रविवार होने के चलते कुंडमाल में घूमने पहुंचे थे। इंद्रायणी नदी पर बना यह पुल काफी पुराना बताया जा रहा है, और अचानक उसका एक हिस्सा भरभराकर गिर गया। उस वक्त कई लोग पुल पर ही खड़े थे और अचानक नीचे गिरने से बहाव में बह गए। यह पुल स्थानीय आवागमन के लिए प्रयोग में लाया जाता था और कुंडमाला को पार करने के लिए एकमात्र मार्ग माना जाता है।

मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन

घटना की सूचना मिलते ही तलेगांव दाभाड़े पुलिस स्टेशन की टीम और पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू आॅपरेशन शुरू कर दिया है जिसमें एनडीआरएफ और दमकल विभाग की टीमें भी जुट गई हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमारी प्राथमिकता पानी में बहे लोगों को सुरक्षित निकालना है। अब तक कुछ लोगों को बचाया जा चुका है। बाकियों की तलाश जारी है।

गैरकानूनी निर्माण या रखरखाव में लापरवाही?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुल की हालत लंबे समय से खराब थी और प्रशासन को इसकी मरम्मत के लिए कई बार सूचित भी किया गया था। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पुल के गिरने की वजह प्राकृतिक कारण थे या रखरखाव की अनदेखी। विशेषज्ञों की एक टीम को भेजा गया है जो यह जांच करेगी कि पुल के ढहने की संरचनात्मक वजहें क्या थीं।

मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट, मुआवजे का ऐलान संभव

घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जिला प्रशासन से तत्काल विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। संभावना है कि सरकार जल्द ही मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा कर सकती है। हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटकों में गहरा रोष है। उनका कहना है कि प्रशासन ने बार-बार चेतावनी के बावजूद पुल की मरम्मत नहीं करवाई। वहीं यह घटना एक बार फिर पर्यटन स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। यह घटना न केवल एक त्रासदी है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और ढांचागत जर्जरता की भयावह मिसाल बनकर सामने आई है। जरूरत है कि ऐसे पुराने पुलों और संरचनाओं का समय-समय पर आॅडिट हो और सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा मानकों को लेकर कोई कंप्रोमाइज न किया जाए।

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